दर्द न औरों का दिखे, फिर काहे के मर्द.......
आईपैक्स भवन वेलफेयर सोसाइटी की प्रतिष्ठित मासिक काव्य परंपरा गोष्ठी की श्रृंखला में
1 दिसंबर, 2019 को 108 वीं गोष्ठी संपन्न हुई। इसके साथ ही गोष्ठी के 9 गौरवशाली वर्ष पूर्ण
हुए। सभी ने चुटकुला रहित, समयबद्ध और पूर्णतया कविताओं के समर्पित इस गोष्ठी की
निरंतरता के लिए आज एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
प्रयोग-धर्मिता की शृंखला में इस बार गोष्ठी को ब्रज भूमि को समर्पित किया गया। इसी क्रम में
ब्रज क्षेत्र के दो प्रसिद्ध कवियों यथा श्री श्याम सुन्दर 'अकिंचन' व श्री मनवीर मधुर को आमंत्रित
किया गया । गोष्ठी के प्रारंभ में प्रख्यात समाजसेवी व संस्था के महामंत्री श्री सुरेश बिंदल,
संयोजक श्री प्रमोद अग्रवाल और चेयरमेन साहित्य श्री सुशील गोयल जी नें सभी आमंत्रित कवियों
का स्वागत किया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ वरिष्ठ ब्रजभाषी कवि श्याम सुन्दर 'अकिंचन' ने किया। ब्रज भूमि की मिठास
से भरी और राधा कृष्ण को समर्पित अपनी रचनाओं से उन्होने पूरे सदन को मानो ब्रज ही बना
दिया। वंश-मोर की आवाजों और श्रोताओं की जबर्दस्त तालियों के बीच उन्होने एक से बढ़ कर
एक रचनाएं प्रस्तुत की। एक ब्रजभाषा की बानगी देखिए–
श्री राधे नाम गंगा जल सौं नहाऔ मल-मल, काया-कुण्ड जीवन कमल खिल जाएगौ,
श्री राधे राधे शोर सौं बंधेगी घोर चहुं ओर, शाशन-प्रशाशन सकाल हिल जाएगौ,
लाड़ली कूँ चित्त धार मिटै वृत्ति को विकार, काल के कुठार कौ प्रहार झिल जाएगौ,
कृष्ण कृष्ण कहते मिलै न चाहे राधे रानी, राधे राधे कहेगौ तो कृष्ण मिल जाएगौ।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में ओज के विख्यात कवि मनवीर मधुर ने सदन को राष्ट्रवाद की भावना
से ओत-प्रोत कर दिया। भारत माता की जय और तालियों से गुंजित माहौल में उन्होने कहा –
विफल शास्त्र के हो जाने पर शस्त्र जगाना पड़ता है,
यानि शांतिदूत को भी फिर युद्ध जगाना पड़ता है,
जब अधर्म हावी हो जाए और धर्म सहमा – सहमा,
तब-तब वंशी त्याग कृष्ण को चक्र उठाना पड़ता है।
समसामयिक विषयों पर कटाक्ष के दौरान नारियों के साथ दरिंदगी की घटनाओं पर प्रश्नचीन्ह
लगाते हुए उन्होने कहा
मर्द स्वयं को मान कर, नारी को दें दर्द,
दर्द न औरों का दिखे, फिर काहे के मर्द।
गोष्टी का सफल संचालन संस्था के सलाहकार व वारिष्ठ कवि राजेश चेतन ने किया। समाज के
अनेकानेक गणमान्य जनों यथा श्री सुरेश मित्तल, सुषमा सिंह, आर. सी. जैन, वी के जैन आदि की
उपस्थिती ने सदन का उत्साह वर्धन किया। आज की सफल गोष्ठी में कई वरिष्ठ कवि व
साहित्यकार आदि भी उपस्थित थे। गोष्ठी के अंत में श्री सुरेश बिंदल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
राष्ट्र वंदना के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।